‘’हम महिलाएं और पानी’’ अभियान
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च के मौके पर ग्लोबल अलायंस फॉर ग्रीन एंड जेंडर एक्शन (गाग्गा) ‘’ हम महिलाएं और पानी’’ के नाम से एक अभियान की शुरुआत करने जा रहा है, जो जलवायु परिवर्तन के मुहाने पर जल संरक्षण सुनिश्चित करने में महिलाओं की भूमिका, उनकी मांगों और कार्रवाइयों पर प्रकाश डालेगा।
हम 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाने जा रहे हैं, इसलिए हम सोशल मीडिया पर हर रोज एक या दो कहानियां पोस्ट करेंगे, जिसमें अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में गाग्गा समर्थित समुदायों के अनुभवों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जो जलवायु परिवर्तन के कारण अभी से जल संकट का सामना कर रहे हैं। हालांकि, ये कहानियां एक छोटा सा उदाहरण हैं, लेकिन यह दुनियाभर में कई समुदायों की वास्तविकता को प्रदर्शित करता है।
उनकी सीमित जल सुरक्षा कंपनियों की लूट, सरकारों और निवेशकों के द्वारा किए जा रहे दोहन, जलवायु समाधान के झूठे दावों और कृषि उद्योग के कारण और भी जटिल हो गई है। इन सभी परियोजनाओं में परामर्श की कमी, पहले से सहमति न लेने और लोगों को शामिल न कर महिलाओं, स्थानीय समुदाय और देशज लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया है।
इस अभियान में बोलिविया, इंडोनेशिया, मंगोलिया, नाइजीरिया, पेरू और दक्षिण अफ्रीका की कहानियों को दर्शाया गया है, जिन्होंने यह दिखाया है कि कोयले और तेल जैसे जीवाश्म ईंधन का उपयोग छोड़ना ही न केवल जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में महत्वपूर्ण है, बल्कि साफ पानी पर समुदायों के अधिकार और जलवायु परिवर्तन से अनुकूल तरीके से निपटने की क्षमता सुनिश्चित करने में भी आवश्यक है- खासतौर पर इस वैश्विक महामरी के दौर में।
हम बोलिविया, भारत, इंडोनेशिया और ग्वाटेमाला की कहानियों पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे, जहां सरकारों और कंपनियों ने जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए पन बिजली और जिओथर्मल जैसे तकनीकी समाधानों को बढ़ावा दिया है, जो कंपनियों के मुनाफे को संरक्षित करते हैं, जबकि इनका नकारात्मक प्रभाव जैव तंत्र पर गंभीर रूप से पड़ता है, साथ ही जमीन, खाद्य सुरक्षा और पानी तक लोगों की पहुंच बनाने पर भी पड़ता है।
पानी, जलवायु और कोविड-19 तीनों की संकटों के परस्पर अंर्तसंबंधों की जड़ एक ही है- एक गहरा अन्यायपूर्ण और पितृसत्तात्मक आर्थिक व्यवस्था जो कि उपभोग और असीमित विकास पर आधारित है। गाग्गा उन जनसंगठनों और महिलाओं के नेतृत्व वाले समुदाय आधारित संगठनों के नेटवर्क को आर्थिक सहायता देने वाला एक प्लैटफॉर्म है, जो समुदाय की जमीन और जल संसाधनों को प्रदूषित करने वाले शोषक मॉडल का प्रतिरोध कर रहे हैं और जो इससे निपटने के लिए ढांचागत बदलावों और एक न्यायपूर्ण बहाली का दबाव कायम कर रहे हैं, जिसमें मुनाफे के बजाय लोगों और इस पृथ्वी को प्रमुखता मिले।
व्यापक चुनौतियों के बावजूद महामारी और जलवायु के संकट ने यह भी बताया है कि महिलाओं के नेतृत्व में समुदाय आधारित संगठनों ने किस तरह लचीलापन दिखाते हुए उन गतिविधियों को अंजाम दिया है, जो जल संसाधनों के संरक्षण में अक्सर स्थानीय, परंपरागत और देशज ज्ञान पर विश्वास करती हैं। इन गतिविधियों ने स्थानीय महिलाओं के मजबूत और रचनात्मक नेतृत्व, परस्पर सहयोग और समुदाय की प्रतिक्रिया को जुटाने में सफलता हासिल की है।
इन कहानियों के माध्यम से हमारा लक्ष्य कंपनियों, सरकारों और निवेशकों को यह बताना है कि किस तरह से उनकी कार्रवाइयों के कारण जल संसाधनों की असुरक्षा और जलस्रोतों का प्रदूषण और गहरा रहा है। साथ ही पानी की रक्षा करने वाली महिलाओं के नेतृत्व को भी सामने लाना है। हम सभी मिलकर यह मांग करते हैं कि वे:
- महिलाओं के पानी पर अधिकार का उल्लंघन करने वाले जीवाश्म उद्योंगों को त्याग दें।
- लैंगिक न्यायपूर्ण जलवायु समाधान के जरिए पानी पर महिलाओं के अधिकार की गारंटी दें। समाधान स्थायी और सांस्कृति रूप से उचित होना चाहिए और जिसमें निवेश और महिलाओं के साथ ही देशज समुदायों एवं स्थानीय समुदायों की सहमति और नियंत्रण शामिल हो।
- पानी तक पहुंच, जल प्रबंधन, जल संसाधनों के पुर्नजीवन और संरक्षण में महिलाओं के नेतृत्व, उनके द्वारा की गई कार्रवाइयों और प्रस्तावों को शामिल किया जाए।
इन शक्तियों के साथ जुड़ने पर ही हम सही मायनों में साफ पानी पर महिलाओं के अधिकार की गारंटी दे सकते हैं और पानी के उपयोग, प्रबंधन और संरक्षण का निर्णय लेने में महिलाओं की प्रतिभागिता सुनिश्चित कर सकते हैं। इसलिए हमारे अभियान से जुड़ें और पर्यावरण संरक्षक के रूप में महिलाओं की आवाज को अपनी पोस्ट से बुलंद करें, इस उद्देश्य के साथ कि हमारी मांगों के बारे में सभी को पता चले।
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